सिरचन गाँव का एक कुशल कारीगर था। वह बाँस की तीलियों से बड़े सुंदर पर्दे बनाता था इसलिए लोग उसे पूछते थे। सिरचन को लोग चटोर भी समझते हैं….. तली-बघारी हुई तरकारी, दही की कढ़ी, मलाई वाला दूध, इन सबका प्रबंध पहले कर लो, तब सिरचन को बुलाओ, दुम हिलाता हुआ हाजिर हो जाएगा।