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० - शून्यम्
१ - एकः (पुल्लिंग), एका (स्त्रीलिंग) , एकम् (नपुंसकलिंग),
२ -द्वौ, द्वे,
३ - त्रयः,तिस्रः,त्रीणि
४ -चत्वारः चतस्रः, चत्वारि
चार (४) के बाद सभी संखाएँ सभी लिंगों में एकसमान रूप में होती हैं।
५ - पंच/पञ्च
६ - षट् , ७ - सप्त , ८ - अष्ट , ९ - नव , १० - दश ,
(११ से ४० तक २ के लिये द्वा , ३ के लिये त्रय: / त्रयो , ८ के लिये अष्टा का प्रयोग होता है .
और ४० के उपर २ के लिये द्वि , ३ के लिये त्रि, तथा ८ के लिये अष्ट प्रयोजे जाते हैं । )
११ - एकादश , १२ - द्वादश , १३ - त्रयोदश , १४ - चतुर्दश , १५ - पंचदश
१६ - षोडश , १७ - सप्तदश , १८ - अष्टादश , १९ - नवदश/ऊनविंशतिः/एकोनविंशतिः , २० - विंशति: ,
२१ - एकविंशतिः , २२ - द्वाविंशतिः , २३