ये वे फंड/योजनाएं हैं जो केवल उन्हीं क्षेत्रों या उद्योगों की प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं जैसा कि प्रस्ताव दस्तावेजों में निर्दिष्ट किया गया है। जैसे फार्मास्यूटिकल्स, सॉफ्टवेयर, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), पेट्रोलियम स्टॉक आदि। इन फंडों में रिटर्न संबंधित क्षेत्रों / उद्योगों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। हालांकि ये फंड ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन डायवर्सिफाइड फंड्स की तुलना में ये ज्यादा जोखिम भरे होते हैं। निवेशकों को उन क्षेत्रों/उद्योगों के प्रदर्शन पर नजर रखने की जरूरत है और उचित समय पर बाहर निकलना चाहिए। वे किसी विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं।