एफपीआई की फुलफॉर्म Foreign Portfolio Investment होती है जिसे हिंदी भाषा में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कहा जाता है। हाल ही में वर्ष 2021- 22 के केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के बाद एसबीआई बढ़ने के कारण लगभग 11. 36% सेंसेक्स में वृद्धि हुई है।जैसे कि हमने आपको अभी बताया कि बाहर से आने वाले लोग जब भारत में अपना व्यापार स्थापित करते हैं या किसी भारतीय कंपनी में अपना पैसा लगाते हैं तो उसे विदेशी निवेश कहा जाता है। और इनके द्वारा निवेश किए गए पैसे को यह कभी भी निकाल कर वापस ले जा सकते हैं क्योंकि यह पूंजी निवेश रिपोर्टेबल बेसिस पर होती है। विदेशी निवेश से भारत में कारोबार काफी बड़ा है और विदेशी निदेशकों की दिलचस्पी भी बड़ी है। विदेशी निवेश आप दो प्रकार से कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ)
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)
जब कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी FDI का 10% से ज्यादा हिस्सा खरीदता है तो वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहलाता है क्योंकि आमतौर पर देखा जाए तो यह बहुत कम समय के लिए होता है। इसे इसे धन सर्जन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि कोई भी निवेशक अपने नुकसान और लाभ को देखते हुए कभी भी अपनी कंपनी के शेयर या बोंड बेचकर यहां से जा सकता है। एफडीआई अपने व्यवसाय के लिए मशीनरी और पौधों जैसी उत्पादक संपत्तियों में निवेश करते हैं। विदेशी संस्थागत निवेश देश के बांड, म्यूचुअल फंड और स्टॉक जैसी वित्तीय प्रोपर्टी में अपना पैसा लगाते हैं। एफडीआई निवेशक दो तरीकों से नियंत्रित पदों को लेते हैं: या तो संयुक्त उद्यमों के माध्यम से या घरेलू फर्मों में।
उदाहरण: निवेशक कई तरह से FDI कर सकते हैं जैसे- किसी अन्य देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना, एक मौजूदा विदेशी कंपनी के साथ अधिग्रहण या विलय, एक विदेशी कंपनी के साथ एक संयुक्त उद्यम साझेदारी शुरू करना आदि।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई)
जब कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड इंडियन कंपनी के शेयर खरीदी है लेकिन उसकी हिस्सेदारी 10% से कम होती है तो उसे एसबीआई कहा जाता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शेयर और बोन के रूप में होता है। एफपीआई निवेशक अपने निवेश में अधिक निष्क्रिय स्थिति लेते हैं। एफपीआई को निष्क्रिय निवेशक माना जाता है।
एफपीआई को प्रायः “हॉट मनी” (Hot Money) कहा जाता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था से पलायन करने की प्रवृत्ति अत्यधिक होती है।
उदाहरण: स्टॉक, बॉण्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, अमेरिकन डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (एडीआर), ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (जीडीआर) आदि।
(FPI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से लाभ
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश बढ़ने के कारण लगभग 11.36% संसद में वृद्धि हुई है।
भारतीय निवेश के कारण आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए सरकार के पास भरपूर विदेशी मुद्रा की पूर्ति होगी जिससे कि सामना किया जा सके।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण शेयरधारकों के कर्तव्यों की रक्षा के साथ-साथ व्यापार करने में भी आसानी होती है।
निजी बैंकों, फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विदेशी प्रवाह देखा गया है, क्योंकि इन भारतीय कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने के बाद तेज़ी से वृद्धि हुई है।
वर्ष 2020 में फार्मा क्षेत्र एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा और इस क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
संभावित गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के कारण बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है। अब FPI द्वारा की गई मांग से बैंकिंग शेयरों में फिर से वृद्धि हुई है।