आजकल के जो टीवी आते हैं वह आईडी है या फिर एलईडी स्क्रीन होते हैं या फिर स्क्रीन होते हैं होते हैं तो जो कुछ भी उसमें ट्रांसलेट होता है तो वह टीवी के अंदर चिप्स लगे होते हैं कि ट्रांजिस्टर या फिर आपको प्रोसेसर बोल दीजिए पिक्चर्स को ट्रांसलेट करके जो टीवी के अंदर पिक्सल्स होते हैं नेकी 8GB जिसे बोला जाता है रेड ग्रीन और ब्लू पिक्चर्स के रूप में होते हैं जिसकी वजह से वह टाइटन बनता है तो जो भी तस्वीर आती है तो यह सब भी उसी पर काम करती है तो जैसे ही वह पैटर्न उसे स्क्रीन के पर ट्रांसलेट होता है तो वह दिखने लग जाता हमें टीवी के ऊपर तो वही चीज है टीवी के के जो विकसित होते हैं उसकी वजह से है ना वहां पर पिक्चर दिखते हैं रही बात पुराने टीवी की तो पुराने टीवी में बड़ा सा एक डब्बा टाइप का होता था तो उसने प्रोजेक्ट होता था मतलब टीवी के जू क्लास होते थे प्रदा टाइप का लगा हो तो जो पीछे से फोकस होता था या नहीं जो भी चित्र चलते थे कलरफुल प्रोजेक्ट होते थे तस्वीरें दिखती थी