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द्वारा में धर्म और अध्यात्म पूछा गया

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(28.9k अंक) द्वारा उत्तर
 
सबसे अच्छा उत्तर
अर्थ-इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति का जो मूल स्वभाव होता है, वह कभी नही बदलता है, चाहे आप उसे कितना भी समझाएं और किनती भी सलाह दे | यह ठीक उसी प्रकार से होता है जैसे पानी को आग में उबालनें पर वह गर्म हो जाता है और खौलनें लगता है परन्तु कुछ समय पश्चात वह अपनी पुरानी अवस्था में आ जाता है |

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मार्च 18, 2019 deepak kushwah (5.1k अंक) द्वारा में पुनर्जन्म पूछा गया
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अविक्रयं लवणं पक्वमन्नं दधि क्षीरं मधु तैलं घृतं च। तिला मांसं फलमूलानि शाकं रक्तं वासः सर्वगन्धा गुडासश्च।। क्या इस श्लोक का अर्थ कोई समझा सकता है। मेरा whatsup no 9211324068
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