अर्थ-इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति का जो मूल स्वभाव होता है, वह कभी नही बदलता है, चाहे आप उसे कितना भी समझाएं और किनती भी सलाह दे | यह ठीक उसी प्रकार से होता है जैसे पानी को आग में उबालनें पर वह गर्म हो जाता है और खौलनें लगता है परन्तु कुछ समय पश्चात वह अपनी पुरानी अवस्था में आ जाता है |