यह उस समय वायसराय की 'एक्जीक्यूटिव कौंसिल' (कार्यकारिणी समिति) ही थी, जिसका विस्तार करके छह से बारह मनोनीत सदस्य नियुक्त कर दिए गए थे। इनमें कम से कम आधे ग़ैर सरकारी सदस्य होते थे। 'इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल' के पहले तीन ग़ैर सरकारी भारतीय सदस्य महाराज पटियाला, महाराज बनारस और ग्वालियर के सर दिनकरराव थे।