संविधान के अनुच्छेद 164(क) के अनुसार, सभी मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद पर रह सकते हैं लेकिन अनुच्छेद 164(ख) के अनुसार, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधान सभा के प्रति उत्तरदायी होती है.
किसी एक मंत्री अथवा मंत्रिपरिषद को राज्यपाल अपनी इच्छा के अनुसार मंत्री पद से नहीं हटा सकता. मंत्रिपरिषद विधानसभा में बहुमत प्राप्त होने तक (पांच साल की कार्यकाल तक) बना रहता है.
मंत्रिमंडल का निश्चित कार्यकाल पांच वर्ष का है. इस निश्चित समय से पहले भी मंत्रिमंडल को निलंबित किया जा सकता है, परंतु यदि मंत्रिपरिषद को पांच वर्ष विधान सभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त है तो मंत्रिपरिषद पांच वर्ष के समय तक अपने पद पर स्थिर रह सकती है.
यदि मुख्यमंत्री अपने पद से त्यागपत्र दे दे तो मंत्रिपरिषद का अंत हो जाता है, क्योंकि उसके द्वारा अनुच्छेद 356 का उपयोग करके भी राज्य मंत्रिपरिषद का अंत किया जा सकता है.