आदित्यक - एल 1 सूर्य का अध्ययन करने वाला प्रथम भारतीय मिशन
आदित्य-1 मिशन की संकल्पना दृश्य उत्सर्जन रेखा प्रभामंडललेखी (वी.ई.एल.सी.) नामक नीतभार को ले जाने हेतु 400 कि.ग्रा. श्रेणी उपग्रह के रूप में किया गया था तथा उसे 800 कि.मी. निम्न भू कक्षा में प्रमोचित करने की योजना थी। सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लेग्रांजी बिंदु के आस-पास प्रभामंडल कक्षा में स्थापित उपग्रह से मुख्य लाभ यह होता है कि इससे बिना किसी आच्छादन/ग्रहण के लगातार सूर्य को देखा जा सकता है। अत: आदित्य-1 मिशन को अब “आदित्य-एल1 मिशन” में संशोधित कर दिया गया है और इसे एल़1 के आस-पास प्रभामंडल कक्षा में प्रविष्ट कराया जाएगा, जोकि पृथ्वी से 1.5 मिलियन कि.मी. पर है इस उपग्रह में परिवर्धित विज्ञान कार्यक्षेत्र तथा उद्देश्यों सहित छह अतिरिक्त नीतभार है।