योग का अर्थ है दो वस्तु या संख्या का मिलन ।
योगा का अर्थ शरीर ओर स्वास का मिलन, आत्मा ओर परमात्मा का मिलन, मन ओर आत्मा का मिलन ही योगा है।
योगा के प्रथम गुरु भगवान शिव है जिन्होने अनेक आसनो का निर्माण किया।
योगा का अर्थ यम के आठ नियम:- अहिंसा, ब्रहमचर्य, आसन, प्राणायम, प्रतिहार, धारणा, ध्यान, समाधि ।
किसी के प्रति हिंसा नही करना , क्रोध नही करना, चुगली नही करना इसको अहिंसा कहते है।
इंद्रियो पर नियंत्रण रखना , हमेशा स्वाध्याय करना ही ब्रहमचार्य है।
किसी भी एक शाररिक मुद्रा पर नियत्रण करना ही आसन है, आसनो को भगवान शिव ने पशुओ के क्रियायें से बनाया था।
शरीर के अन्दर वायु स्नान ही प्राणायाम है।
भोजन पर नियत्रण करना ही प्रतिहार है।
किसी एक स्थान पर लगातार देखना ही धरना है जिसको आजकल त्राटक कहते है।
जब बिना किसी सहायता के किसी भी एक वस्तु या विचार पर लगातार सोचना ही ध्यान है। मन को नियत्रण करना ही ध्यान है।
जब आपके सब विचार समाप्त हो जाय, जब आपका मन सो जाय कुछ समय के लिए पुरा शरीर शुन्य ही जाय, आपको परम शान्ती मिलए उसको समाधि कहते है, या शरीर मे आत्मा का दर्शन करना, या मन को आत्मा के दर्शन हो जाय वही समाधि है।