हिन्दी में वेब एड्रेस बनाने की सुविधा 2010 में शुरू हुई थी। स्थानीय भाषाओं में वेबसाइटों के विकास का सीधा असर स्थानीय भाषाओं में सामग्री के विकास पर पड़ता है। स्थानीय भाषा में वेबसाइट के URL की निर्भरता इंटरनेट के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।